न्याय दर्शन के प्रणेता महर्षि गौतम हैं|
इसके रचयिता महर्षि वात्स्यायन हैं|
इसके रचयिता वर्धमानोपाध्याय हैं| इसकी रचना तेरहवीं शताब्दी में हुयी है|
इसके रचयिता अभिनव वाचस्पति मिश्र हैं|
इस ग्रन्थ के रचयिता केशव मिश्र हैं|
इसके रचयिता विश्वनाथ पंचानन भट्टाचार्य हैं|
इसके रचयिता भट्टवागीन्द्र हैं|
इसके रचियता राधामोहन विद्यावाचस्पति हैं|
इसके रचयिता हरिप्रसाद स्वामी हैं|